अनुबंध
अनुबंध
प्रार्थना
'सिड सर आपकी पब्लिश हुई बुक देखी, बहुत अच्छी लगी; मेरी बुक की मैन्युस्क्रिप्ट तैयार है, कुछ मदद कीजिए न.......'
'किस तरह की मदद बिंदु जी?'
'अरे सिड सर आप सब समझते हो; मेरी बुक छपने में मदद कीजिए न......'
'बिंदु जी ये पब्लिशर सिर्फ कुछ बुक्स ट्रेडिशनली पब्लिश करता है बाकि ज्यादातर बुक्स तो सेल्फ पब्लिश वाले मोड़ में ही छापता है, मैं पब्लिशर की बुक पब्लिशिंग डिटेल्स देता हूँ, आप अपनी मैन्युस्क्रिप्ट भेज दीजिए.......'
'वो तो मैं भेज दूँगी लेकिन जब तक आप मदद नहीं करोगे तब तक बुक पब्लिश नहीं हो सकेगी, प्लीज मदद का वादा कीजिए न.......'
'आजकल पब्लिशर बहुत लालची हो गए है इसलिए वादा तो नहीं कर सकूँगा लेकिन अपनी तरफ से पूरा प्रयास करूँगा कि आपकी बुक ट्रेडिशनल मोड में छप जाए।'
'थैंक्यू सिड जी आप कोशिश करोगे तो छप ही जाएगी।'
बुक छपने के बाद
'सिड, क्या ये पब्लिशर बुक की सारी कमाई अपने पास ही रखेगा या मुझे भी कुछ देगा?'
'बिंदु जी बुक की जो भी बिक्री होगी उसकी रॉयल्टी मिलेगी आपको।'
'रॉयल्टी कितनी है?'
'पब्लिशर की साईट पर बिकी बुक की कीमत का २५ प्रतिशत और दूसरी सेलर साइट्स पर बुक की बिक्री का १० प्रतिशत।'
'सिड, ये तो खुली लूट है बुक का कुछ दाम तो मिलना ही चाहिए न.......'
'बिंदु जी यह बुक किन शर्तों पर छपी है यह मैं जानता हूँ, मुझे अपनी तीन बुक का अनुबंध करना पड़ा है इस पब्लिशर के साथ तब आपकी बुक को छापने के लिए माना वो।'
'तो क्या हुआ तुम्हें तो अपनी बुक कहीं न कहीं छपवानी ही है इस पब्लिशर से छपवा लो क्या फर्क पड़ता है, कोई १० पब्लिशर तो तुम्हारे पीछे घूम नहीं रहे है, ऐंवे ही बड़ी-बड़ी बाते करते हो।'
'सही कह रही हो तुम मुझे बड़ी बात नहीं करनी चाहिए।'
छह महीने बाद
'सिड मेरी बुक की रॉयल्टी की क्या हुआ? कब मिलेगी या सारी रॉयल्टी वो पब्लिशर ही खा जाएगा? मेरी बुक की कमाई से तुम्हारा भी कुछ पर्सेंटेज तो जरूर देता होगा वो पब्लिशर.......'
'नहीं कोई पर्सेंटेज नहीं देता मुझे......पब्लिशर का अड्रेस और फोन नंबर तुम्हे दिया हुआ है अब आप सीधे उससे ही बात कर लो तो अच्छा रहेगा।'
'जितना सीधा तू बन रहा है न उतना सीधा तू है नहीं, मेरी बुक की मैन्युस्क्रिप्ट फ्री में पब्लिशर को दे दी अब रॉयल्टी माँगती हूँ तो सही से जवाब भी नहीं देता, अगर मेरी बुक की रॉयल्टी तुम लोगों ने चोरी की तो तुझे और उस पब्लिशर दोनों को जेल की हवा खिला दूँगी।'
'सही कह रही हो हर गलत काम करने वाले को जेल जाना ही चाहिए।'
'ज्यादा आदर्शवादी न बन, देख मेरे अगली बुक की मैन्युस्क्रिप्ट भी तैयार है लेकिन वो कभी तुझे और उस लुटेरे पब्लिशर को नहीं दूंगी, हजारों पब्लिशर है छापने वाले।'
'बेस्ट ऑफ़ लक बिंदु जी.......'
दो साल बाद
'सिड सर, एक बुक के बाद तो मेरी कोई बुक किसी पब्लिशर ने छापी ही नहीं है, प्लीज एक बार फिर उसी पब्लिशर से मेरी बुक छपवा दीजिए न.......'
'बिंदु, अब ये पॉसिबल नहीं है, उस पब्लिशर के साथ मेरा अनुबंध एक साल पहले खत्म हो चुका है। अब मैं जिस पब्लिशर के लिए लिखता हूँ वो किसी की सिफारिश से किसी की भी बुक नहीं ऐसे ही नहीं छाप देता है। आप प्रयास करती रहिये कोई न कोई पब्लिशर आपकी बुक छाप भी देगा और रॉयल्टी भी चोरी नहीं करेगा।'