chandraprabha kumar

Children Stories Comedy

3.8  

chandraprabha kumar

Children Stories Comedy

अनुभव

अनुभव

2 mins
374


एक ट्रेन में दस बारह लड़के चढ़े, एक डिब्बे में बैठे। उस डिब्बे में और कोई नहीं बस एक वृद्ध व्यक्ति बैठा हुआ था। 

   लड़के तो लड़के ठहरे। जो लड़े ,लड़े ,घर में लड़े, बाहर लड़े और भड़के। लड़के बैठे बैठे बोर हो गये, कुछ करने को था नहीं, तो उन्होंने सोचा कुछ करना चाहिये। एक लड़के ने कहा कि ,"ट्रेन की ज़ंजीर खींचते हैं।" सब लड़कों ने बात मान ली। पर बिना बात ज़ंजीर खींचने पर जुर्माना भरना पड़ेगा, तो रुपये कहॉं से लायें। आपस में सलाह करके उन्होंने रुपये जमा करने शुरू किये। किसी लड़के ने सौ रुपये दिये किसी ने दो सौ रुपये दिये; इस तरह बारह सौ रुपये जमा हो गये। उन रुपयों को जमा करके एक लड़के ने अपनी जेब में रख लिये। 

     एक लड़के ने ज़ंजीर खींची और कहा-" इस बूढ़े का नाम लगा देंगे कि इसी ने ज़ंजीर खींची है, तो हमें रुपये भी नहीं देने पड़ेंगे।"

    इसे कहते हैं-पर पीड़न रति, अर्थात् दूसरों को दुःख पहुँचाकर सुख पाना। 

   बूढ़े ने कहा, "मेरा नाम मत लो, मैं पैसे कहॉं से लाऊँगा?"

    ज़ंजीर खींचने से ट्रेन रुक गई। ट्रेन का स्टाफ़ आया, पूछा - ज़ंजीर किसने खींची?

   लड़कों ने कहा-ज़ंजीर इस बूढ़े ने खींची। 

       अफ़सर ने बूढ़े को डांटा और कहा -"इतनी उम्र हो गई अभी भी ऐसा काम करते हो। जंजीर क्यों खींची?"

   बूढ़े ने सोचा - कोई मानेगा नहीं कि मैंने ज़ंजीर नहीं खींची। मैं कहूँगा कि ज़ंजीर मैंने नहीं खींची तो मेरी बात कौन मानेगा। कोई भी विश्वास नहीं करेगा। ये दस बारह लड़के हैं, मेरी बात कौन सुनेगा ?

   बूढ़े के दिमाग में एक विचार आया और उसने कहा," हॉं, मैंने ज़ंजीर खींची है।"

   "क्यों खींची?"

  बूढ़े ने जवाब दिया," मजबूरी में खींचनी पड़ी। इन लड़कों ने मेरे १२००/ रुपये ज़बरदस्ती लूट लिये, वे रुपये इस लड़के की जेब में हैं। "

    अफ़सर ने देखा तो लड़के की जेब में रुपये मिले। ईमानदारी का ज़माना था, रुपये वृद्ध को दे दिये गये। अगले स्टेशन पर लड़कों को पुलिस पकड़कर ले गई। 

    ट्रेन चली तो वृद्ध ने लड़कों की ओर देखकर अपनी दाढ़ी पर हाथ फिराया -ये बाल ऐसे ही थोड़े सफ़ेद हुए हैं। हमें फँसाने चले थे !

   वृद्ध के पास अनुभव होता है, जो युवक के पास नहीं होता। युवक अपने उत्साह का उपयोग वृद्ध के अनुभव के साथ करें, यही इस कथा का संदेश है। उत्साह एवं अनुभव का योग होता है तभी श्रेष्ठ कार्य होता है।


Rate this content
Log in