हरि शंकर गोयल

Tragedy Crime Inspirational

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हरि शंकर गोयल

Tragedy Crime Inspirational

अजीब फैसला

अजीब फैसला

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यह कहानी उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर जिले के एक गांव की सत्य घटना पर आधारित है जो राष्ट्रीय स्तर पर बहुत चर्चित रही थी। सन 2005 की घटना है जिसे गूगल पर "इमराना केस" के नाम से खोजा जा सकता है। इस कहानी में "जख्म पर नमक छिड़कना" मुहावरे का प्रयोग किया गया है। 


और दिन की तरह आज भी इमराना घर का काम करके बुरी तरह थक चुकी थी। एक तो घर का सारा काम करना पड़ता था उस पर पांच पांच बच्चों को संभालना कोई आसान काम नहीं था। इमराना अभी 28 साल की हुई थी लेकिन उसका निकाह 12 वर्ष की उम्र में हो गया था और उस पर 'अल्लाह' का ऐसा 'फजल' था कि इतने कम समय में ही उसकी गोद में 5 "अनमोल रत्न" सुशोभित हो गये थे। उनकी चमक से इमराना का चांद सा चेहरा पूनम की चांदनी की तरह और चमकीला हो गया था। 


इमराना का पति नूर इलाही रिक्शा घर के अंदर रखकर आया ही था। हाथ मुंह धोकर वह खाना खाने बैठ गया। दिन भर रिक्शा चलाने से थक जाता था वह। इमराना उससे कहने लगी 

"सुनो जी" 

खाना खाते खाते नूर इलाही बोला "खाना कानों से नहीं मुंह से खा रहा हूं। और कानों में तेल भी नहीं डाल रखा है मैंने।" 

यह सुनकर इमराना सहम गई पर बात तो कहनी ही थी इसलिए धीरे से बोली 

"वो बाथरूम का दरवाजा लगवा दो ना ! उसमें लगा परदा भी अब फट गया है। नहाते हुए हमें लाज आती है।"


नूर इलाही ने खा जाने वाली नजरों से उसे देखा और कहा "दरवाजों पर होने वाला खर्चा क्या तेरा बाप देगा" ? 

इमराना फिर से खामोश हो गई। अगर उसके बाप के पास इतना ही रुपया होता तो क्या वह उसे नूर इलाही को देता ? पर यह बात वह कह नहीं सकती थी इसलिए और धीरे से बोली 

"बाथरूम में नहाने में अब डर लगता है जी" 

"डर ! कैसा डर ? किसका डर ? यहां पर अम्मी और अब्बू के अलावा और है ही कौन ? अब्बू भी अब 70 के होने वाले हैं। फिर किसका डर" ? 


इमराना कैसे बताये कि उसे डर अब्बू से ही लगता है। उम्र चाहे कितनी ही हो जाये , मन तो जवान है अभी उनका। जब वह बाथरूम में नहाने जाती है तब अब्बू की निगाहें पर्दे के छेदों से पार होकर उसके नंगे बदन पर आकर चिपक जाती हैं। वह शर्म से पानी पानी हो जाती हैं मगर अब्बू अपनी जगह से हिलते तक नहीं हैं। वह घबरा कर अपने बदन पर दुपट्टा डाल लेती है। किसी किसी दिन तो वह नहाती ही नहीं है इस कारण। जब अब्बू घर से बाहर चले जाते हैं तब वह नहाने जाती है। पर ये बातें बताते ही घर में हंगामा होने की संभावना है इसीलिए वह चुप है। लगता है और आगे भी उसे चुप ही रहना पड़ेगा। 


खाना खाकर नूर इलाही अपने दो बच्चों को साथ लेकर एक कमरे में चला गया और सो गया। दो बच्चे सास के पास सुला दिये और सबसे छोटे बच्चे को लेकर वह भी सो गई। 


एक हलकी सी आवाज से उसकी नींद खुल गई। जब उसने आंखें खोली तो वह बुरी तरह से डर गई। अंधेरे में भी उसके ससुर अली मोहम्मद को पहचान गई थी वह। अली मोहम्मद के हाथ में एक राइफल थी जो उसने इमराना के बच्चे की ओर तान रखी थी 

"देख, एक शब्द भी मत बोलना नहीं तो गोली इसके भेजे में घुस जायेगी और तुझे पता भी नहीं चलेगा। चल, चुपचाप कपड़े निकाल।" 


इमराना के पास और कोई विकल्प नहीं था। उसने अंधेरे में ही अपने सारे कपड़े उतार कर एक तरफ रख दिये। अली मोहम्मद ने बच्चे को चारपाई से उठाकर एक कोने में सुला दिया और वह इमराना के साथ दुष्कर्म करने लगा। वह बेचारी चीख चिल्ला भी नहीं सकती थी। अपने ही ससुर के हाथों लुट गई थी वह। 


अली मोहम्मद अपना काम करके सोने चला गया। सुबह तक इमराना खून के आंसू रोती रही। सुबह होने पर उसने अपनी सास को अपने ससुर जी की करतूत बताई तो सास उस पर ही आरोप लगाने लगी कि वह ही "छिनाल" है और उसने ही ससुर को ऐसा करने के लिए उकसाया है। सास ने इस घटना को भूल जाने के लिए कह दिया और यह भी कह दिया कि भूलकर भी इसका जिक्र और किसी से ना करे। बेचारी इमराना अपना सा मुंह लेकर रह गई। 


थोड़ी देर बाद उसकी पड़ोसन उसके घर किसी काम से आई। इमराना इस अत्याचार को भूल नहीं पा रही थी इसलिए उसने अपनी पड़ोसन को अपने ससुर की करतूत बता दी और उसे यह हिदायत भी दे दी कि इस घटना को वह किसी और को ना बताये और फिर वह अपने काम में लग गई। 


उसकी पड़ोसन यह बात सुनकर बेचैन हो गई। उसके पेट में गुड़गुड़ होने लगी तो उसने अपनी पड़ोसन से वह बात कह दी। शाम होते होते तो पूरे गांव को इस घटना की जानकारी हो गई थी। पूरे गांव में बवाल मच गया। लोग तरह तरह की बातें करने लगे। कोई ससुर को दोषी बता रहा था तो कोई इमराना को दोषी बता रहा था। जितने मुंह उतनी बातें। 


इमराना जिस समुदाय की स्त्री थी उस समुदाय के मुल्ला मौलवियों की पंचायत बुलाई गई और उसमें इस विषय पर खुलकर चर्चा हुई। इमराना और उसके ससुर को सुनने के बाद उस समुदाय की पंचायत ने अपना फैसला सुना दिया। पंचायत ने कहा 

"इमराना के साथ उसके ससुर ने संबंध बना लिये हैं इसलिए अब इमराना और नूर इलाही का निकाह अवैध हो गया है इसलिए वह निकाह रद्द घोषित किया जाता है। चूंकि अली मोहम्मद ने इमराना से संबंध बना लिये हैं अत: इमराना अब अली मोहम्मद की पत्नी है और नूर इलाही उसका पुत्र है। आगे से घर में इसी प्रकार से रहना होगा।" 


पंचायत का फैसला बड़ा अजीब था। इस फैसले को सुनकर सब लोग अचंभित हो गये। इमराना तो स्तब्ध ही रह गई। इस फैसले ने उसके जख्मों पर नमक छिड़क दिया था। मगर वह क्या कर सकती थी। उसने थाने में रिपोर्ट लिखवा दी मगर तब उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव थे जो तुष्टीकरण के वोटों से ही मुख्य मंत्री बने थे इसलिए उन्होंने पंचायत के फैसले को वाजिब करार दे दिया। तथाकथित नारीवादी भी इस फैसले पर मौन साध गये क्योंकि यह कृत्य एक शांतिदूत का था। शांतिदूतों का हर कृत्य काबिले तारीफ है लिबरलों, सेकुलरों और बड़ी बिंदी गैंग के लिए। खैराती मीडिया की तो बात करो ही मत , वह तो इनके सम्मुख पहले ही नतमस्तक है। 


श्री हरि 

23.1.2023 



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