अबूझ पहेली इस जीवन की ***
अबूझ पहेली इस जीवन की ***
ये जीवन भी अजब पहेली है इसे जितना खोजोगे उतना ही अधिक पाओगे। ये बहुमूल्य है। सोने चांदी हीरे मोती अन्य जवाहरत और बेशकीमती मणियों से। ना उनसे इनकी संकल्पना है न ही कोई तुलना बस बुद्धि विवेक सहनशीलता और अपने अंदर झांकने की क्षमता होनी चाहिए।
जीवन के बहुमूल्य पलों को सादगी से जीने और ईश्वर भक्ति द्वारा असीमित ज्ञान को अर्जित करने में सफल होने पर ही जीवन उत्कृष्ठ बनता है।
लोभ मोह और लालच इस जीवन को नर्क की ओर धकेल देता है, जबकि स्वर्ग यहीं है अपने हाथों में विराजमान है। अमानवीय कृत्य जब व्यक्ति को भौतिकता की ओर ले जाती है। मन सुख की लहरें गिनने में मशगूल रहने लगता है तब वो स्वयं की हानि ही करते है।
समाज का नुकसान करते हैं। मानवता झिंझोरती हैं उनको उनके दूषित कृत्यों को। उनकी तामसिक मनोवृतियों को जिनसे मानवता कलंकित है।
हिंसा अहंकार सदैव रास्ता रोकते हैं इस अनुकृतिक जीवन को व्यर्थ करते हैं। इस जीवन की अबूझ पहेली को सुलझाने में विनाशी होते हैं।
ये जीवन त्याग तपस्या का अनुभव है। एक-एक क्षण आनंद की अनुभूति का पर्व है।
आत्मा की शुद्धिकरण कर परमात्मा से मिलन ही जीवन की पहेली है। सृष्टि की रचना पालन और संहार करने वाले परमात्मा का ये अंश है।
यही आत्मा है जो सिर्फ इस देह का आवरण लिए हुए है। इसे एक दिन इसे छोड़ कर जाना है,तो इसका मोह क्यों? दूसरों से नफरत क्यों? आगे बढ़ने की प्रतिस्पर्धा क्यों? गला काट प्रतियोगिता क्यों?
अनेक प्रश्न मन मस्तिष्क में घूमते हैं जिनका जवाब ढूंढना ही जीवन की पहेली है।
सब प्राणी मात्र से प्रेम करे। क्यों आपस में घृणा व बैरभाव रखे। घृणा एक विकार है, पागलपन है।
प्रेम शाश्वत है। समर्पित हो अपने जीवन की अबूझ पहेली को सुलझाने में। दूसरों के प्रति सकारात्मक भाव रखने में, आत्म-अनुशासित होने मे स्वयं की प्रशंसा से बचने में।
आत्मा शुद्धिकरण की दिशा में अग्रसर होने में। इस जीवन की अबूझ पहेली तभी सुलझ पाएगी और जीवन सार्थक हो जायेगा।