आसमां की उड़ान
आसमां की उड़ान
आसमां आज बहुत खुश दिख रही थी। इसका कारण था कि वो इसबार की भी वार्षिक परीक्षा में प्रथम स्थान प्राप्त की थी। वैसे भी वह अपने स्कूल में पढ़ाई के साथ - साथ ही खेल-कूद में भी अव्वल रहती है। पिछले माह की ही अंतरराज्यीय बैडमिंटन प्रतिस्पर्धा में महिल वर्ग की विजेता रही थी; यह कारनामा करके वह न सिर्फ अपने माता - पिता बल्कि अपने स्कूल और जिले का नाम भी रौशन किया था।
मगर इसबार की खुशी कुछ अलग ही थी और साथ ही बहुत खास भी ! चूँकि इसबार वो हाईस्कूल की परीक्षा पास कर ली थी और इसके बाद वो यहां से काॅलेज जाने वाली थी ,पढ़ाई के लिए ।कारण था कि उसके वर्तमान में स्कूल जिसमें वह पढ़ाई थी जिसमें दसवीं तक ही पढ़ाई होती थी।
पर उसके एक दशक का खुशनुमा सफर भी छूट रहा था ,इसलिए थोड़ा गम भी थी उमंग भी ! स्कूल में सभी शिक्षक उसके प्रतिभा ,प्रस्तुति से मनमुग्ध रहते थे। उसके गुरुजन उसके माता खासकर घर के मुखिया पिता से सदैव कहते थे कि ये" जहां तक पढ़ाई करे करने दीजिएगा ! अगर कुछ जरूरत हो तो हमें भी कहिएगा ,हम यथासंभव मदद करेंगें। इसे कभी पढ़ने से मत रोकिएगा। आगे चलकर ये आपका ही नहीं बल्कि हमसबके साथ- साथ जिला - जवार का भी नाम रोशन करेगी। यह उम्मीद की पंछी !
उसके पिता भी हामी भरकर शिक्षकों को आश्वस्त कर देते कि वे वैसा ही करेंगें जैसे आपलोग कह रहे हैं। बिल्कुल वैसा ही !