आपका धन्यवाद शिक्षक
आपका धन्यवाद शिक्षक
एक बालक था जिसका नाम राघव (काल्पनिक नाम )था। अपने माता-पिता का आंखों का तारा था। वह जो करता या कहता उसके माता पिता सब सही मानते थे चाहे वह गलत ही क्यों ना हो, जैसा कि हम जानते हैं कि ज्यादा किसी को प्यार देना भी खतरनाक होता है।
ठीक ऐसा ही हुआ।
राघव कक्षा चार में पढ़ता था। शायद ही पढ़ता होगा क्योंकि वह हमेशा शरारत करता था। न कोई काम करता न किसी की बात मानता था। उसके माता-पिता से उसका शिकायत करने पर भी वह कुछ नहीं करते थे। कहते थे;बच्चा है आगे सुधर जाएगा और शिक्षक को आदेश भी नहीं था उसे मारने की क्योंकि उसके माता-पिता उससे बहुत प्यार करते थे।
ऐसे ही कई महीने बीत गए लेकिन राघव की शरारत घटने की वजह और बढ़ती गई लेकिन कोई क्या करें। एक नए अध्यापक स्कूल में पढ़ाने आए थोड़े कड़क स्वभाव के थे। लेकिन उनकी पढ़ाई कराने का तरीका शानदार था, राघव का भेट उनसे हुआ लेकिन कोई सुधार नहीं। कुछ दिनों तक वह पढ़ाया और सारे बच्चे समझते थे लेकिन राघव समझने की कोशिश ही नहीं करता था। शिक्षक ने उसे एक दिन अकेले में बुलाया और समझाया लेकिन कोई प्रभाव न हुआ। अब उस शिक्षक ने भी ठान लिया कि वह राघव को “Best Student" बनाकर रहेंगे।
तब से रोज वह शिक्षक राघव को अकेले में बुलाते और समझाते ऐसा कई हफ्तों तक चला, लेकिन कोई बदलाव नहीं। राघव भी उनसे परेशान हो चुका था। एक दिन फिर अध्यापक ने उसे बुलाया और समझाया वह दिन “शिक्षक दिवस" था। शिक्षक गुस्से में आ गए उसी गुस्से की वजह से उन्होंने राघव को मार दिया राघव एकदम शांत हो गया और वहां से भाग गया। पता चला कि घर छोड़कर कहीं चला गया। उस अध्यापक को स्कूल से निकाल दिया गया।
कई साल बीत चुके थे। वह शिक्षक अब बूढ़े हो चुके थे अचानक उनकी तबीयत खराब हो गई, उन्हें हॉस्पिटल ले जाया गया। सौभाग्य की बात यह थी कि जो डॉक्टर उनका इलाज करने आया वह राघव ही था। अध्यापक ने राघव को देखा तो उन्हें विश्वास नहीं हुआ कि वह राघव ही था। उनकी आंखों में आंसू आ गए। इधर राघव भी दुखी हो गया, उसने अध्यापक का इलाज किया बाद में राघव ने शिक्षक को “धन्यवाद” कहते हुए कहा आपकी उस मार ने मुझे सही रास्ते पर ला दिया आज जहां भी हूं सब आपके आशीर्वाद से फिर से “धन्यवाद शिक्षक"। दोनों के आंखों में खुशी के आंसू भरे थे।
अब राघव के माता-पिता भी बहुत खुश थे उन्होंने भी शिक्षक को धन्यवाद कहा।
इस कहानी से यह तात्पर्य निकला कि शिक्षक ही भगवान का दूसरा रूप है हमें शिक्षक का सम्मान करना चाहिए और उनका आदर और उनके आदेश का पालन करना चाहिए।