आम्र मंजरी
आम्र मंजरी
एक लम्बे अरसे बाद फोन आया था आज
पूछी क्या हाल चाल है ?
मैंने कहा हाल भी वही और चाल भी वही
मतलब सुधरे नहीं हो अब तक - हंसते हुए फिर पुछ बैठी
बिगड़े ही कब थे -मैंने कहा
ओहो । मेरे कहने का तात्पर्य है कि सब ठीक ठाक है न।
हां सब ठीक है।
किस पर लिखे हो
क्या?
अरे वही कल जो फेसबुक पर पोस्ट किये हो
"आम्र मंजरी
फूले पलास
मधुर कुमकुम
ओस मिश्रित घास
प्रिय क्यों हो दूर
आओ पास
तेरे बिन मन उदास"
अब छोड़ो भी इसे
यूं ही टाइम पास के लिए लिखते रहता हूं।
नहीं नहीं बता भी दो
जिंदगी भर तो तुम छुपाते ही रहे
अब छुपाने से क्या फायदा
एक बात बोलूं विश्वास करोगी ?
बोलो
तुम्हीं पर लिखे हैं
लिखने के सिवाय मेरे जीवन में बचा ही क्या।
एक गहरा सन्नाटाऽऽऽ ..... ।
फ़ोन रखते हुए रूंधती स्वर में सिर्फ इतना ही बोल पायी
तुम तो लिख भी लेते हो और एक हूं मैं ?