आखिर, मेरा कसूर क्या है?
आखिर, मेरा कसूर क्या है?


अरे काजल तू ....."मॉल में अपने बचपन की सखी काजल को देखते ही साक्षी ने कहा" इतने दिन से तू कहां थी। ....तेरी शादी के बाद मुलाकात ही नहीं हुई...... कितने साल बीत गए.... कैसी है तू ....एक के बाद एक सवाल साक्षी पूछी जा रही थी।" ....काजल बुत बनी उसकी ओर टकटकी लगाए देख रही थी।
"क्या बात है सब ठीक है ना .....अब तो तेरे बच्चे भी हो गए होंगे।..... मैं तो एमबीए करने अमेरिका चली गई। अभी हफ्ते भर पहले ही आई हूं। जीजा जी कैसे हैं? तेरा खूब ध्यान रखते होंगे।"
काजल मानो कहीं खो गई हो। साक्षी ने काजल के कंधे पर हाथ रख हिला के पूछा,"क्या बात है तू इतनी बुझी बुझी क्यों लग रही है?"
काजल की आंखों से आंसू के सैलाब सा आ गया। मानो उसके दिल को किसी ने छू लिया हो।
"क्या हुआ बता?"
काजल साक्षी के गले लग फूट-फूट कर रोने लगी और बोली, "मेरा तो सब कुछ लुट गया। शादी के 2 साल बाद ही कार एक्सीडेंट में मानव का देहांत हो गया। अब तो मैं बिल्कुल अकेले हो गई हूं।" ये कह के वो और जोर-जोर से रोने लगी।
साक्षी यह सुनकर बिल्कुल स्तब्ध रह गई। काजल बोली," मेरा तो जीवन ही उजड़ गया है। "
साक्षी उसको सांत्वना देते हुए बोली, "चल मेरा घर पास में है, चल घर चलते हैं। काजल साक्षी के साथ उसके घर चली जाती है।"
साक्षी की मां ने दरवाजा खोला। उन्होंने बोला बेटा तुम लोग बातें करो, मैं पानी लेकर आती हूं।
फिर साक्षी और काजल की बातें शुरू होती हैं। साक्षी पूछती है कि "तेरी शादी तो शहर के नामी परिवार में हुई थी ना? उनके दो ही बेटे थे।"
"हां" काजल ने बोला, "शादी के बाद तो सब कुछ बहुत अच्छा रहा। जब तक मानव थे । तब तक पिताजी और मेहुल मेरा देवर सब का व्यवहार बहुत अच्छा था। पर मानव के जाने के बाद मैं बिल्कुल अकेली पड़ गई। सब रिश्ते बदल गए, मां पिताजी मुझे अपशगुनी मानने लगे । मेहुल और उसकी पत्नी मधु भी अब अपने में इतने व्यस्त रहते ,कि मेरे से कोई मतलब ही नहीं रखते। जब तक मानव थे तब तक सब लोग मेरा बहुत ध्यान रखते थे। आदत सत्कार करते थे। मेहुल की पत्नी दीदी-दीदी कहते नहीं थकती थी। पर बाद में धीमे-धीमे सब बदल गया।
2 महीने से मैं अपनी मम्मी के घर आकर रह रही हूं। उन लोगों ने मुझे घर से निकाल दिया" कहते-कहते काजल के आँखें भर आयी। काजल बिल्कुल टूट चुकी थी।
थोड़ी देर में साक्षी की मां पानी लेकर आ जाती हैं। साक्षी बोलती है "मां ! आप बैठकर बातें करो, मैं चाय लेकर आती हूं।"
साक्षी किचन में चाय बनाने चली जाती है। चाय बनाते बनाते वह अतीत की यादों में खो गई। कॉलेज के दिनों में काजल कितनी स्मार्ट, सुंदर, मस्त और हँसमुख लड़की थी। कॉलेज में सब लड़के उसके दीवाने थे। मेरा भईया करन भी उसी मे से एक था, उसको भी काजल बहुत पसंद थी। मै भईया का लेटर लेकर काजल के पास गई। पर तभी काजल ने अपनी शादी तय होने की बात बताई। फिर मैने वह लेटर काजल को नहीं दिया।
चाय में उफान के शोर से साक्षी की ध्यान भंग हुआ, चाय खौल कर तैयार हो गई थी। साक्षी अतीत की यादों से बाहर आई व चाय छान के काजल और मां के पास लेकर गई।
"मां चाय ले लो"
"नहीं बेटा मेरे को काम है तुम दोनों पियो" कहकर मां अपना काम करने चली गई। दोनो बैठकर चाय पीते हैं।
साक्षी काजल की आंखों में आँखे डाल कर पूछती है कि "तुम दूसरी शादी क्यों नहीं कर लेती। इतनी पहाड़ सी जिंदगी तुम अकेले कैसे काटोगी?" काजल उदासी के
सर झुका लेती है।
"काजल शादी के बारे में तुम कुछ जरूर सोचना। नही तो मुझे बता मैं तेरे लिए लड़का भी ढूंढ दूंगी" कहकर साक्षी जोर से हंस देती है। काजल के होठों पर भी एक फीकी सी मुस्कान आई।
चाय पीकर काजल अपने घर चली जाती है।
काजल के मायके में उसके भैया ,भाभी और बूढ़ी मां है। काजल घर में बच्चों का ट्यूशन लेती है और अपना कुछ मन बहलाती है। काजल की भाभी भी बहुत तेज है। काजल को महसूस होता हैं कि भाभी को उसका मायके मे रहना पंसद नही आ रहा, पर वो अभागी जाए तो कहां जाए ?
जब काजल का मन करता तो अपने बोझिल मन को बहलाने कभी-कभी साक्षी से मिलने चली जाती है।
एक दिन साक्षी के घर काजल गई। साक्षी के भाई ने दरवाजा खोला। साक्षी का भाई काजल को एक लम्बे अरसे के बाद सामने देख स्तब्ध रह गया और बोला "काजल तुम... आओ, मैं साक्षी को बुलाता हूं।"
साक्षी अपनी दोस्त काजल को देखकर बहुत खुश होती है। काजल अक्सर ही साक्षी के घर आने जाने लगी अपने गम को भूलाने के लिए। साक्षी की मां भी काजल को पसंद करने लगी।
1 दिन साक्षी ने काजल से पूछ ही लिया "काजल तूने सोचा कुछ शादी के लिए ।"
काजल चुपचाप बैठी रहती है। तभी साक्षी बोलती है, "अरे तुम तो कभी मेरी भाभी बनने वाली थी, मगर किस्मत को कुछ और ही मन्जूर था।"
ये सुन काजल बिल्कुल सन्न रह जाती है। साक्षी काजल का हाथ अपने हाथों में लेकर उसे बताती है कि "मेरा भाई तो तुझे कॉलेज के दिनो से ही पसंद करता है। एक बार उन्ही दिनो, मैं भाई का पहला लेटर लेकर तेरे पास गई भी थी। पर तभी तूने अपनी शादी तय होने के बात कही। इस वजह से वह लेटर मैंने तुम्हें नहीं दिया था। मेरे भाई की चाहत मन की मन मे ही रह गई। भाई ने सब कुछ भुला पढ़ाई व करियर बनाने मे कई साल यूँ ही गुजार दिये। "
उस दिन पहली बार तुझे देखने व तेरे जाने के बाद करन भइया बैचेन होकर तेरे बारे मे जानना चाह रहे थे। तेरे उदास चेहरे को उन्होने भी पढ़ लिया था। जब उनको पता चला तो बहुत दुखी हुए और बोले कि अभी भी तुमको प्यार करते हैं व तुमसे शादी करना चाहते हैं। वो तुमको ऐसे उदास नही देख सकते।
इसलिए तू भी अपना मन बना ले, तैयार हो और मेरे भाई से शादी करने के लिए हां कर दे।
काजल दुखी मन से ,....."पर... मैं विधवा हूँ।"
"पर- वर कुछ नहीं। तू अपनी कशमकश से बाहर निकल और अपनी नई जिंदगी की शुरुआत कर।"
तभी अचानक करन आकर उनकी बात सुन लेता है वो काजल से बोला "काजल मैं तुम्हें बेइन्तहा प्यार करता था और आज भी उतना ही चाहता हूँ। ये बात अलग है कि मैने तुम्हें कभी बताया नहीं। मै हमेशा तुम्हें खुश देखना हूँ। तुम शादी के बाद खुश थी, तुम्हारी खुशी मे मैं भी खुश था। पर अब मैं तुम्हें ऐसे बेरंग और उदास नही देख सकता। प्लीज काजल आओ मिलकर एक नई जीवन की शुरुआत करते हैं।"
करन की बात सुन काजल के आँखो मे खुशी के आसूँ आ जाते हैं।
साक्षी की मां तभी मिठाई लेकर आ जाती है बच्चों को मिठाई खिलाकर स्नेह से सहमति देते हुए कहती हैं, "हां बेटा मैं तुम्हारी मां से बात कर लेती हूं। मुझे तेरे जैसे ही बहू चाहिए थी।"
काजल सर झुकाकर रजामंदी दे देती है और आज उसने अपनी जिंदगी में आगे बढ़ जाने का फैसला ले ही लिया।