NOOR E ISHAL

Tragedy Inspirational

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NOOR E ISHAL

Tragedy Inspirational

आज़ादी ख़ुश रहने की

आज़ादी ख़ुश रहने की

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रिमझिम बारिशों का मौसम शुरू हो चुका था। कविता बारिश का आनन्द लेती हुई किताब पढ़ रही थी।तभी उमेश ने पुकारा, "कविता, कहाँ हो? इतना अच्छा बारिश का मौसम हो रहा है.. हल्की हल्की फुहारें मन मोह ले रहीं हैं.. ज़रा प्याज़ के पकौड़े और चाय बना दो।"

कविता थोड़ी देर सोचती रही फिर आख़िर गहरी साँस लेते हुए किचन में चली आयी. प्याज़ काटी, पालक भी साथ में काट लिया... बेसन फेंटकर थोड़ी देर उसे रेस्ट के लिए रख दिया।जल्दी से एक गैस के चूल्हे पर दूध गरम होने के लिये रख दिया और दूसरे चूल्हे पर चाय का पानी चढ़ा दिया.अदरक धोकर कूटा और चाय के पानी में डाल दिया.बेसन उठाकर प्याज़ और पालक मिलाकर पकौड़े तलने लगी।कुछ देर में पकौड़े और चाय लेकर ड्रॉइंगरूम में चली आयी।

"तुमने बेसन में क्या पानी मिलाया था?" उमेश ने पूछा

"हाँ, ये कैसा सवाल है.. बेसन में पानी ही मिलाकर फेंटते हैं" कविता हैरानी से बोली

"यार, तुम भी हद करती हो, दिमाग कहाँ रहता है तुम्हारा, बेसन में पानी नहीं मिलाते हैं..प्याज़ के रस से ही बेसन गूंधा जाता है।मैंने तुम्हें एक यूट्यूब के वीडियो का लिंक भेजा था क्या तुमने नहीं देखा.. जाओ उसे देखो और सीखो की बेसन कैसे फेंटा जाता है?" उमेश नाराज़गी से चिल्लाकर बोला

" आप भी कमाल करते है प्याज़ में इतना रस कैसे निकलेगा कि बेसन अच्छी तरह घुल जाये। "कविता रुआँसी होकर बोली, उसे पता था कि उसकी एक घंटे की मेहनत व्यर्थ जाएगी.

" अच्छा जाओ, जाकर प्याज दोबारा काटो.. औऱ बेसन को उसके रस में घोलो और देखो.. तुम्हें इतना बुरा क्यूँ लग जाता है जब मैं तुम्हें कुछ सिखाने की कोशिश करता हूँ तो.. "उमेश कविता पर बुरी तरह चिल्ला रहा था।

"एक तो आप ये यूट्यूब पर फालतू कुकिंग के वीडियो देखना बंद कीजिये.. हर एक शेफ बना बैठा है, जिसको जैसा समझ आये पकाकर वीडियो में दिखाकर चल देता है और देखने वाले भी आँखें बंद करके यकीन कर लेते हैं. दादी नानी के ज़माने से पकौड़े का बेसन ऐसे ही घुलता चला आ रहा है. एक नौसिखिए शेफ ने आपको दिखा दिया और आपको भी लग गयी। " कविता का भी गुस्सा भड़क चुका था

गुस्से में पैर पटकते हुए किचन में आयी प्याज काटकर उसमें थोड़ा सा बेसन डाला और उमेश को आवाज दी," अब यहाँ आकर बतायें कि आगे बेसन कैसे घोलना है.. प्याज़ का रस इसको नहीं घोल पा रहा है "

" हाँ ठीक है इतना ही बेसन डालना था.. अब इसमें थोड़ा सा पानी डालो।" उमेश ने कहा

"अभी आप ही चिल्लाकर गुस्सा करके कह रहे थे कि मैंने पानी क्यूँ डाल दिया ये तो प्याज़ के रस से घुल जाता.. अब क्यूँ पानी डालने को कह रहे हैं.. क्यूँ नहीं ये प्याज़ के रस से घुल रहा है "कविता गुस्से पर काबु रखते हुए बेहद दुःखी मन से बोली

" तुमने इसमें बेसन ज़्यादा कर दिया है.. यूट्यूब पर जाकर एक बार वो वीडियो देख लो.. क्यूँ इतना बुरा मान रही हो.. पकौड़े बहुत अच्छे बने हैं अगर उस तरह बनाती जैसे मैंने बताये थे तो और अच्छे बनते।"उमेश मुँह बनाकर किचन से बाहर चला गया।

कविता का मन भर आया.. आँखों से आंसुओं की रिमझिम बारिश शुरू हो गयी थी। किचन से निकलकर वह दूसरे कमरे में आकर खिड़की के पास बारिश को देखते हुए जो़र जो़र से रो रही थी.. उसे समझ नहीं आ रहा था कि उसके खाना बनाने के दस सालों का अनुभव सही है या यूट्यूब पर नौसिखिए शेफ का अनुभव ज्यादा है. वीडियो बनाने को तो बना दिया जाता है लेकिन उसको किचन में खड़े होकर एक शॉट में गृहणी परफेक्ट कैसे बनाएंगी ये कोई क्यूँ सोचेगा.. क्यूँकी उन शेफ के आसपास उमेश जैसे आलोचक जो नहीं होते हैं.

क्या बिगड़ जाता जो उमेश ख़ुश होकर पकौड़े खा लेता और कविता की मेहनत के लिये उसे धन्यवाद कह देता ? उमेश और बच्चे कविता को पकौड़े खाने के लिये आवाजें दे रहे थे लेकिन कविता का अब चाय और पकौड़ों का आनंद लेने का मन नहीं था.

अक़्सर यही होता है उमेश जैसे लोग हमारे आसपास मौजूद ही होते हैं इनके लिये अगर आसमान से तारे भी तोड़ लायेंगे तब भी ये ख़ुश नहीं हो सकते हैं.. साधारण सी कहानी है लेकिन बहुत कुछ कहना चाह रही है.. किसी ने अगर आपके भले के लिये छोटे से छोटा काम किया है तो उसे मुस्कराकर धन्यवाद ज़रूर कीजिये.. आखिर उसने अपनी मेहनत और अपना समय आपको दिया है.आपके द्वारा की गयी सराहना शायद आपके लिए महत्वपूर्ण ना हो लेकिन यह किसी के भी हौसले और हिम्मत को बढ़ाने की ताक़त रखती है।

वाणी पर संयम रखें बगैर सोचे समझे बात ना करें. चेहरे को देखकर नहीं तथ्यों को देखकर बात करें. अगर किसी को हँसा नहीं सकते तो उसको उदास करने की वजह मत बनिए।हर इन्सान खास होता है.. हर एक के गुण भी अलग होते है, सब की इज़्ज़त करनी चाहिये।हमेशा अपने आपको सर्वोपरि मानते हुए दूसरे के साथ बुरा व्यवहार नहीं करना चाहिये।

रब हर लम्हा अपनी रहमतों और नेअमतों से इंसान को नवाज़ता रहता है तो इंसान को भी चाहिये कि वह छोटी छोटी खुशियों का भी शुक्र अदा करते हुए ख़ुश रहे और दूसरों को भी ख़ुश रखे. सबके दिलों को अपने अख़लाक़ से रौशन ओ मुनव्वर करना भी इबादत है।


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