आदत से मजबूर
आदत से मजबूर
हर कोई अपनी आदत से मजबूर है। अपवाद मिलना भी शायद मुश्किल ही है। मेरी अपनी कुछ आदतें है और संभव है कुछ समय के लिए भटक जाऊं परंतु अधिक देर नहीं, आदत से मजबूर आखिर अपने रास्ते पर आ ही जाता हूं।
शायद यही बात सबके लिए सही है।
उसका नाम क्या था इससे क्या फर्क पड़ता है। आखिर तो उसे अपनी आदत के अनुसार ही चलना है और शायद उसकी आदत से ही उसे पहचाना जाना है। कुछ नाम रख सकते है यदि जरूरी हो तो परंतु ऐसी कोई जरूरत भी महसूस नहीं होती।
तो हुआ कुछ ऐसा की मेरा सोसाइटी में पहला ही दिन था और ऑफिस के लिए निकला ही था की उसने लिफ्ट मांग ली। उसे भी मेरी ऑफिस की तरफ ही जाना था। मेरी आदत के खिलाफ अब यह रोज का काम हो गया। ऐसा नहीं है की में किसी को लिफ्ट नहीं देता पुरानी सोसाइटी में रमेश हर रोज मेरे साथ ही ऑफिस जाता था।
कुछ दिन ही गुजरे थे की मुझे मेरी आदत ने मुझे कचोटना शुरू कर दिया और आखिर मुझे अपने रास्ते पर आने के लिए मजबूर कर ही दिया। और फिर मेरी सुरक्षा का मामला भी था आखिर मेरी सबसे पहली जिम्मेदारी मेरे खुद के लिए है।
अगली सुबह वो वहीं मैन गेट के पास खड़ी थी परंतु मैने ना तो गाड़ी रोकी और ना ही उसकी तरफ देखा। अगले दिन भी वही किया और उसके अगले दिन भी .... सुना है आजकल नाराज है और सबसे कहती घूम रही है की मैं गाड़ी चलाते वक्त सड़क पर नहीं बल्कि मिरर में उसे देखता रहता हूं।
कहती रहे आखिर वो भी मजबूर है अपनी आदत से। एक तरीके से उसका तो पूरा का पूरा जीवन ही खुद को विक्टिम साबित करने में गुजरा है आगे भी उसे यही सब करना है।
आखिर आदत है उसकी वो भी मजबूर है