सीरत की कीमत वही जानता है जिसने सूरत से धोखा खाया हो
तब जाकर उसनें एक कठोर निर्णय लिया और फिर..... वो निर्णय आख़िर क्या था ?
सुबह की चली हुई पहुँचते पहुँचते उसे शाम हो गयी।
फिर भी उसे तसल्ली नहीं हुई और वो अपनी पत्नी की जान लेने पर उतारू हो गया।
चश्मा निकाल कर देख सब लड़कियाँ एक़ जैसी नहीं होती।
एक कटाक्ष उन इज़्ज़तदारो पर जिन्हें दूसरों की बेइज़्ज़ती करने में ज़रा भी संकोच नही होता।