अमित के मन-मस्तिष्क में विचारों का एक ज्वार- सा उठा ......और इसमें उसमें उन सिक्कों की पवित्रता के मानक ढूंढ रहा था........
सनकी आदमी को बाहर से मुसीबत नहीं बुलाना पड़ती वह खुद पैदा करता है
उसने सोचा इतने रुपए में तो एक सेब भी ना हो
सच ही कहा है कि, सिक्कों को अगर संभालना हो तो जेब फटी नहीं होनी चाहिए।