ध्यान लगाने की कोशिश कर रही थी ताकि वह भी अपने सपनो को सच होते देख सके।
सोचता था उनकी दुनिया के बारे में की कैसी होती होगी
तो शायद आज आपको ये किस्सा सुनाने मैं रहती ही नहीं।
उसे लगा कि वह तो मेरा नहीं है तो मैं उस चीज़ को क्यों उठाऊँ।
यहाँ गाँव में एक महुआ का पेड़ है चलो चलते है वहां सारे राजी हो गए
कवि सम्मेलनों में भी ओजकवियों पर कुछ मित्र हास्यकवि उपहासरूपी कटाक्ष करने में नहीं चूकते ,एक काल्पनिक दृश्य के माध्यम से...