"अगर नहीं भागती तो कईयों की तरह मेरे जिस्म की भी ख़रीद बिक्री शुरू हो जाती।" तभी अनाउंसमेंट हुई
समाज में सामान्य जीवन जीते हुए भी सन्यासी रहा जा सकता है।
आप तो चले जाते हो ,मैं अकेली पागल नहीं हो जाऊँगी ....और कभी कोई मुश्किल आ गयी तो भाईचारा तो आते आते आयेगा,
यह ही भारत का संस्कृति है।
हमने एक चीज़ सीखीं, ये जो ज़िन्दगी दी है ईश्वर ने बहुत ख़ुबसूरत है " इसे प्यार-मोहब्बत से
वो पापा का एहसान मानती थी कि उन्होने चाची को मुसीबत के समय सहारा दिया।