पागल ही है तू अभी भी, शिवकली ने उसे दुलारा।
मछली पानी के एक छोटे से बर्तन में संघर्ष कर रही थी, मुँह से एक हीरा बाहर फेंक रही थी!
बेटा हो या बेटी मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता
एक अरसा हो गया था एक दूसरे को जानते समझते बहुत जल्दी घर वालों से बातचीत के बाद हमारा रिश्ता भी पक्का हो गया
थोड़ी ही देर में वे दोनों खाली हाथ वापिस लौट रहे थे । हम ने एक ओट ली व जैसे ही वे गुजर गए !वहां पहुंच गए......
जिंदगी भर के लिए सिसकियाँ और पछतावा चुन लिया था उसने ...कैसी विडंबना थी ये ....