रात में भी कुछ नहीं खाया था। देख असकली बनाई है।
की मजहब बड़ा है या इन्सानियत और यह सोचकर की जब ईश्वर ने अपने सब बन्दो को अपनी सेवा में
जात-पात की सोच से अब हमें ऊपर उठ जाना ही बेहतर है...
बंटवारा फायदे का नहीं, जिम्मेदारियों का होना चाहिए
हमारे यहां तो चौबीस घंटे पानी आता है तो हमें इतना सोचने की जरूरत नहीं।"