एक महिला जब अपनी उम्र के 35 वें पड़ाव पर ख़ुशी-ख़ुशी पहुंच रही हो, और वो स्वेछा से अविवाहित हो तो, उसे इन जैसे सवालों का...
लड़कियों को लेकर पुरानी सोच
दया माया कहां चली गई तेरी.. मत भाग कौड़ी की माया के पीछे...प्राश्चित भी नही मिलेगा तुझे.
बुआ दादी बातों के साथ-साथ अपनी अनुभवी नज़रों से रमा और नई बहू को तोल भी रही थी।
क्या मैंने इसी दिन के लिए पालपोस कर बड़ा किया था कि ये दहेज़ के लालची इसे जला दें।
रीना का मुंह खुला का खुला रह गया पाँव के नीचे से मानो ज़मीन सरक गई हो।