नरकवासी मेरा बाप
क्या हम उन्हें वह प्यार वापिस कर सकते हैं ?
लेकिन मैं तो स्पाइडर मैन भी चाहता हूँ , डोरेमन भी चाहता हूँ तो फिर आपने मेरे नाम आप्तकाम क्यों रखा ?
मोहित शहर आ कर जैसे माँ बाप को भूल ही गया, बिना उन्हें बुलाये शादी भी कर ली और उसके बाद भी जाना जरुरी नहीं समझा पर बाज़ा...
उस दर्द को रमेश कभी नहीं समझ पायेगा।
मगर फिर भी ये सभ्य समाज पुरुष-प्रधान ही कहलाता है