खुद से इस उम्मीद के साथ कि अब कभी वापस नहीं आएगा।
मुझे कुछ हो गया तो , तुम पढ़ाई छोड़ कर मत आना , पढ़ाई करते रहना।"
दादाजी ने हाई स्कूल तक की तालीम हासिल की । उसके बाद कुछ साल पंचायत इन्स्पेक्टर की नौकरी
कुछ मौन ऐसे होते हैं जो चुभ जाते हैं दिल में नश्तर जैसे !
पेड़ हो या इन्सान अपनी जड़ों से अलग हो कर कब ज़िन्दा रह पाया है।