बस एक चाहा है, सच्चाई के पथ पर चलने की।।
मैं भी हम इंसानों का ये रूप देखकर असमंजस में था
इतना ही कहना चाहती हूँ ''मानव आज मानव से कहता, मानवता का धर्म निभा लो...
घर मे रहना....अस्पताल मे रहना ....या फोटो फ्रेम मे रहना......
लॉकडाउन में भूखों को भोजन राष्ट्रीय धर्मं
ऐसा करके हम बच्चों से उनकी निष्पाप हंसी नहीं बल्कि एक देश से उसकी सर्जनात्मक शक्ति छीन