सब अपनी घर की बेटी की जिंदगी संवारने के लिए तैयार थे।
न ही अपनी भोगी वसीयत अपनी आने वाली पीढ़ी को देगी। इस जंग से जीतना है उसे।
हर सुविधा की शुरुआत वो अपने ही अंश के कत्ल से कर चुके थे।
जय श्री राम जय घोष से गुंजायमान रहती है तो आज के लिए यहां समाप्ति,जय श्री राम।"
ईश्वर की कृपा से निया के जीवन में वह आशा की किरण आज जगमगा उठी थी।
जिनका सुकून ही दाल रोटी था, वो इस वक्त किस हाल में होंगे ?