दीवाली की एक दर्द भरी कहानी
एगो दीया जलाना तो हमरा भी फर्ज होता है, है कि न
उसके साथ के हर चौथे बच्चे के परिवार में एक धूमकेतु होता ही था, जो 2/3 साल में दीवाली पर दिखायी देता था।
हम सभी लोग इतना सहम गए कि सारी दिवाली का मजा किरकिरा हो गया । और आज भी मैं अनार बम से
रहीस खानदान से नहीं थी, उसको ब्याह के ले गया महलों का राजकुमार
तौबा-तौबा! अब तो कभी भी किसी भी मिठाई की चोरी नहीं करूंगी।