मधुर प्यार की परिणती विवाह में हुई और दोनों ही आनंद से संसार सागर में बस गए।
माँ के बाद सिर्फ वही है जो पापा का ख्याल रख सकती है , पर बाबा को उसकी शादी की चिंता थी,आख़िर बाबा की तलाश पूरी हुई और उसे...
आखिर कब तक, यह अत्याचार वह सहेगी, कभी तो उसकी भी सहनशक्ति जवाब देगी।
कहीं सिर्फ सोचते सोचते ही वक़्त न निकल जाये और हम बाद में हाथ मलते न रह जाएँ।
उसने तय किया कि अब माँ से के साथ ऐसा व्यवहार नहीं करेगा।
पर रश्मि को कोई अफ़सोस नहीं कभी-कभी टेंशन अच्छा होता है !