अम्मी के साथ अलाव की गर्मी से सर्दी को फिर एक चमचमाती हँसी से हराने में लगा।
चलो ढूँढते हैं छोटी-छोटी खुशियाँ अपनों के बीच। मिलने- मिलाने का समय, साल में एक बार जरूर निकालें।
फिर प्रियंका ने ऐसा गाया की वहाँ बैठे हज़ारों लोग उसके आवाज़ के कायल हो गए
जीके ने विनय से विदा ली और जल्दी आने का वायदा किया।
एक बार फिर अष्टभुजा ने अपना रूप धारण किया
आज के जमाने के बच्चों की परवरिश के तरीके पर व्यंग्य करती रचना.....