हाँ मैं अपनी दिवाली एक दिन जरुर लाऊंगा।
ऐसे ही किसी जरूरतमंद की मदद कर दे ! तब हो जाएगा तुम्हारा कर्ज चुकता !"
हम दोनों को साथ रहना और चलना है बावजूद उसके हमारी अपनी यात्राएं निर्धारित है हमें उन सब मोड़ों से गुजरना होगा, जिससे हम ...
और भरा-पूरा संसार विश्वास को बियाबान सा महसूस हो रहा था !
जोधपुर के कलक्टर की आंखें मौनसून को ज़रूर मात दे रही थीं।
ये जो समय अभी अभी गुज़रा है सफर का, ये फिर कब वापस आएगा।