अंदर देखा तो पलंग में रेशमा बैठी हुई थी। रेशमा को देख के मुकेश के होश-ओ-हवास उड़ गए
एकदम एक दूसरे में लगभग खोके वह मदहोशी के आलम में डूब रहे थे।
मुझे यश से प्यार था या उसके चेहरे से ?
किस्मत की लकीरों में एक दूसरे का नाम लिखने लागे।
वह भय से गिड़गिड़ाने लगी वह उसे हौसला देते हुए अपने डर के साथ नीचे उतरा और वही हुआ। ...
आज की रात हमारे उन वादों को निभाने वाली प्रेम रात है। इस संसार को दिखाने वाली प्रेम रात है कि बिना जिस्म के भी प्रेम हो...