इस सपने ने मेरे अंदर एक अलग सी उर्जा भर दी थी।
लेखक : राजगुरू द. आगरकर अनुवाद : आ. चारुमति रामदास
कहते हैं कानून के हाथ लंबे होते हैं। लेकिन सुशांत की तो टांगे भी लंबी है !