बिना जाने अवधारणा बना लेने से प्रेम में और मन मे पड़ने वाले अंतरों को दर्शाती यह कथा
हमारे समाज का धार्मिक उत्थान हुआ ही नहीं है
उनकी पूरी तरह से सटीक व्याख्या नहीं की जा सकती