उबल रहे थे...

उबल रहे थे हजार गिले-शिकवे बस उनका इंतजार था़ ; तभी जादू हो गया । उन्होंने मुस्कुराकर नज़रें मिलाई और मैं गूंगा हो गया । -- कुमार अशोक

By ASHOK KUMAR
 174


More hindi quote from ASHOK KUMAR
23 Likes   0 Comments
14 Likes   0 Comments
12 Likes   0 Comments
16 Likes   0 Comments
21 Likes   0 Comments