कला के...

कला के कदरदान बहत हैं आज के जमाने में .. पर मुझे खुदकी नुमाइश नेहिं अति .. लिखती हूँ शब्द जो दिल में छपते हैं.. क्यूँ की मुझे शब्द सजाके बेचनी नेहिं अति...

By PrajnaParamita Aparajita
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