“
जिंदगी की डोर उसके हाथों में सौंप दिया
कभी थामा तो कभी राहों में तन्हा छोड़ दिया
जब समझा जब जाना अकेले चलना ही जिंदगी है
तो फिर इस कदर क्यों उसकी चाहत का गुरूर लिए बैठे थे हम
अब खुद को खुद की ताकत बनाकर
जिंदगी की कश्ती को आगे बढ़ाते चल पड़े हम!!!
स्वाती
”