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Pramesh Deep

Abstract

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Pramesh Deep

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ज़िन्दगी

ज़िन्दगी

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ना पाने की ख़ुशी है ना खोने का गम है।

ये ज़िन्दगी, जितना जीओ उतना कम है।।


कुछ उलझन जीवन के सुलझते नहीं।

कुछ इतने सुलझे की कभी उलझते नहीं।।


जीवन सफर पल -पल एक पहेली सी है।

सुख और दुख मानो इनके सहेली सी है।।


जीवन को कैसे जीये,जीना भी कला है।

आना-जाना जग का क्रमिक सिलसिला है।।


जब तक साँसो की जीवन पर एहसान है।

तब तक धरा पर तेरी नाम ही पहचान है।।


शायद यही जीवन है जो समझ में आता नहीं।

समझ आ जाये वो मौत जो किसी को भाता नहीं।।


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