ज़िन्दगी
ज़िन्दगी


ए बेरहम कर इतना रहम
मिट जाए सारे वहम
दीदार हो सत्य का
कौन अपना कौन पड़ाया
यहाँ कौन यार और कौन करे वार
या किसका हो सफाया
जिन लोगों को मेरी अहमियत हुई
वह जाने के बाद क्यों हुआ
रहते रहते हो जाते तो साथ रहते
जिनके साथ रहना चाहूँ
वह छोड़ चले जाते है
जिनसे उम्मीद ही नहीं वह
साथ निभा जाते है