ज़िन्दगी
ज़िन्दगी
रेत की तरह यूँ हाथ से छूट रहा है तू,
जितना जोर लगाओ उतना तेज़ फिसल रहा है तू,
याद रख तेरे रब ने कभी तेरा हाथ नहीं छोड़ा है,
तेरे अपनों ने कभी तुझपर हौसला न छोड़ा हैI
धूमिल लक्ष्य की तरफ बढ़ता जा तू,
लोग जुड़ते हैं तो ठीक वरना खुद ही उसके राह चलता जा तू,
तेरे अपनों ने कभी तेरे ईमान को टटोला नहीं,
तेरी चुप्पी को कभी तेरी कमज़ोरी से जोड़ा नहीं,
अपने अंदर की आग को बाहर आने दे,
यह जिस्म को तप के लोहा बन जाने देI