ज़िन्दगी ये मेरी
ज़िन्दगी ये मेरी
1 min
335
जिंदगी ये मेरी,मुझे बना रही है
लिख नित मुझे,मुझे सजा रही है।।
नित नए संगर्ष,लिख रहे एक कहानी।
मौन से जो सीखी,जिंदगी की जुबानी।।
बयां करू मैं कैसे,इन दर्दो को अपने।
सिखाते नित मुझे जो,सजाने को सपने।।
कैसे कहूँ न आना,ऐ दर्द अब पास न मेरे।
जो इन दर्दो में लिखा है, संवारने का खजाना।।
न टूटी मैं कभी भी,इन दर्दो से मेरे प्यारो।
जिंदगी ने बोला,दर्दो से खुद को संवारो।।