ज़िन्दगी के रंग
ज़िन्दगी के रंग
ज़िन्दगी के रंग अनमोल
खट्टे मीठे घोल।
पल में हँसाएं
पल में रुलाएं।
पल में यादों का दामन थमाएं
पल में गुनगुनाएं।
करो न करो यकीन
ज़िन्दगी बहुत हसीन।
पल-पल इस में जी लें
खुशियों से झोलियाँ भर लें।
हर लम्हें का ले आनन्द
यहीं है ज़िन्दगी का परमानन्द।
कभी गम के अथाह सागर में डूबे
रोशनी की हल्की सी किरन भी न सूझे।
ज़िन्दगी को दुःखों का घर बताते
रंगहीन का दर्जा इसे दिलाते।
कभी खट्टी मीठी
यादों को गुनगुनाएं।
कड़वी यादों को भुलाएं
मीठी यादों में खो जाएं।
कभी घमण्ड में इतराएं
कभी झुकाने को आतुर
कभी झुकने को मजबूर।
कभी कर्मों में होते लिप्त
भगवान को करते तृप्त।
कभी मौत से डरते
हर पल इसी में जीते।
कभी बहादुरी दिखाएँ
कुछ भी हो, हम न घबराएँ।
कभी माथे पर चिन्ता की लकीरें सजाएं
अगले ही पल बेफिक्री दिखाएं
सपनों में खो जाएं।
जिसने जीवन में जोत डाली
वहीं करेगा इसकी रखवाली।
नफा नुकसान किस्मत का लेखा
नहीं हो सकता इंसान का भुलेखा।
किस्मत बनाने वाले को कसूरवार ठहराएं
हम तो इसमें कुछ भी नहीं कर पाएं।
कभी ज़िन्दगी लगती एक छलावा
हर साँस झूठा दिखावा।
कभी इसकी भूलभुलैया में खो जाते
हर पल को आनन्दमयी बताते।
कभी झूठ का मुखौटा पहनाते
कभी सच की चादर ओढ़ाते।
पल-पल हम बदलते
ज़िन्दगी को कई आवरणों से ढँकते।
ज़िन्दगी का नहीं कोई अन्त
इसके रंग है अनन्त।