युवा शक्ति
युवा शक्ति
हम युवा शक्ति को जगा रहें।
दंभ,द्वेष,पाखंड,आलस को भगा रहें।
स्तम्भ हैं ये राष्ट्र का
नवचेतना का सागर हैं।
ये रूप में हैं अनेक
पर एकता में हैं एक।
ये सफर के हैं पथिक सुनहरे।
ये सफलता के हैं पुजारी।
ये तिमिर के हैं विनाशक।
ये न्याय के हैं रखवाले।
ये राष्ट्र के है रक्षक।
श्रम के हैं भक्षक।
है आशायें भी इनसे निराली।
करें स्त्री का सम्मान,
रहें तत्पर देश सेवा में,
छोड़ अभिमान।
रजनी हो या प्रभात
मिल कर करें नई शुरूआत।
उम्र हो शतायु इनकी,
सदा रहे इन पर आशीर्वाद।
ऊंच-नीच का भेद ये भूलें।
अग्रसर हो कर्मपथ पर।
सीखे जीने की कला,
प्राचीन ग्रंथों से।
रहें कोई भी ना बेरोजगार,
भले छोटा सा हो रोजगार।
खोजे नित नवीन साधन
सागर की गहराईयों
पर्वत की ऊँचाईयों से।
नाप ले एक जमीं से
सूरज, चाँद और तारे सभी को।
अखण्ड भारत की जोत जला मौन कर दे विश्व को।
जय युवा शक्ति !