यूँही बस चला जाना चाहता हूँ मै
यूँही बस चला जाना चाहता हूँ मै
अब एक दिन यूँही बस चला जाना चाहता हूँ मैं
इस बेरहम दुनिया को अलविदा कहना चाहता हूँ मैं !
ना मुझे कोई पूछे ना कोई मुझे याद करे
बस इतनी सी तमन्ना लिए चला जाना चाहता हूँ मैं!
मेरी हालत की नज़ाकत से नावाक़िफ़ हो तुम आज
एक दिन बहुत याद आऊंगा जब समझोगे तुम,
ज़िन्दगी तुझसे हर कदम पर समझौता करूं
ये मुमकिन है, लेकिन इतना कमजोर नहीं बनना चाहता हूँ मैं आज !
अब एक दिन यूँही बस चला जाना चाहता हूँ मैं
इस बेरहम दुनिया को अलविदा कहना चाहता हूँ मैं !
जिया था अपनों के लिए, मरा था अपनों के लिए
अपनों के लिए ही अब बेगाना हो जाना चाहता हूँ मैं आज !
माना के ऐ दुनिया तेरे काबिल नहीं हूँ मैं
लेकिन तेरे लिये ही अपनों को छोड़ आया हूँ मैं आज !
तूने जो मुझे दिया उसका आभारी हूँ मैं
लेकिन अब और नहीं जीना चाहता हूँ मैं आज !
अब एक दिन यूँही बस चला जाना चाहता हूँ मैं
इस बेरहम दुनिया को अलविदा कहना चाहता हूँ मैं !
फ़ुरसत किसे है, ज़ख्मों पर मरहम लगाने की
निगाहे बदल गईं अपने और बेगानो की
इस लिये ऐ जिंदगी खुद से बिछड़ जाना चाहता हूँ मैं आज !
सिमटते जा रहे हैं दिल और जज्बातों के रिश्ते
इसी लिये इन सांसों को खामोश कर देना चाहता हूँ मैं आज !
अब एक दिन यूँही बस चला जाना चाहता हूँ मैं
इस बेरहम दुनिया को अलविदा कहना चाहता हूँ मैं !