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Manjeet Kaur

Inspirational

4  

Manjeet Kaur

Inspirational

युग पुरुष गुरु नानक

युग पुरुष गुरु नानक

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महामानव अवतरित हुए धरा पर 

एक ज्योत जली 1469 में, अरूणोदय हुआ विश्व में

था व्याप्त अंधकार समाज में, आडम्बर, पाखंड का 

गहरी निद्रा में था जनमानस, अंधविश्वास में था डूबा  

दार्शनिक, सुधारक, सन्त थे वे, दिया महत संदेश शाश्वत सत्य का

फैलाया प्रकाश अंधेरी गलियों में मन की

कराया दर्शन हर युग, हर काल के अटल सत्य का 

बजाया क्रान्ति का बिगुल, की प्रदान दिव्य दृष्टि ब्रह्मज्ञान की

किया बाह्याडम्बर का विरोध, मिटा अज्ञान, फैला प्रकाश ज्ञान का

किया प्रशस्त मार्ग नैतिक, सामाजिक, आध्यात्मिक उत्थान का 

हो विनम्र स्वभाव, कर त्याग अहंकार का 

हो धन उपार्जन मेहनत व ईमानदारी से 

हो धारण एकता, समता, भाईचारा मन में

मूल मन्त्र दिया मानव जाति को, पायें ईश्वर कैसे

क्या केवल उत्सव प्रकाश पर्व पर उनके?

करें आत्मसात आदर्श दिव्य विभूति के

हों अग्रसर निर्धारित पथ पर, सुधारें स्वयं को, कर दूर विकारों को

एक ईश्वर की हम संतान, फिर भेद भाव ये कैसा?

दिया जन्म पुरुष को नारी ने, निम्न कैसे वह पुरुष से ?

पोथी पढकर बने न कोई ज्ञानी, सत्मार्ग पर चले वही है ज्ञानी

इक ऒंकार, सर्वव्यापक ईश्वर, राह न उत्तम सन्यास की

हो निर्लिप्त मोह माया से, कर पालन कर्तव्य का संसार में

हो भावना, समस्त जग का परोपकार

भक्ति मार्ग अत्यंत कठिन, जान हथेली पर रख संभव 

किरत करो, वंड छको, जप करो, उनके उपदेशों का है सार

किया आज़ाद जन को, आडम्बर, पाखंड से

आज़ादी के पैगम्बर थे वे, शांति के दूत थे।


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