यह है प्रेम
यह है प्रेम
क्या बात करते हो मुहब्बत की,
इसे किया नहीं,
जिया जाता हैं,
आलिंगन यहाँ तन का नहीं,
आत्मा से आत्मा का हो जाता हैं,
यह कोई फैशन नहीं,
खुद में एक इबादत हैं,
खुश रहे प्रियतम उसका,
ये हर दिल की चाहत हैं,
यहाँ कुछ लेने का नहीं,
बस देने का भी भाव है,
केवल आकर्षण जहाँ,
बस प्रेम का अभाव है,
टूट जाती हैं वह,
कच्ची डोर भी,
जब प्रेम जिया नहीं जाता,
यारों,ये तो दिलो के रिश्ते हैं,
दिलो से निभाये जाते है,
प्रेमी संग हो न हो,
बस एक दूजे में समाए होते हैं,
आलिंगन ये दिलो का हैं,
मिलन आत्माओं का है,
यह प्रेम तो प्रेम दीवानी
मीरा सा है,
श्याम जहाँ हर पल संग होता हैं।