यह घोर संकट का समय है
यह घोर संकट का समय है
यह घोर संकट का समय है,
और छा रहा एक भय है।
सदा यहां पर होता वही है,
जो यहां पर हुआ तय है।।
बनते बनाते बिखर जाए।
परिस्थिति से मात खाए।।
साहस बटोरे मुट्ठियों में,
हार जाते सब अघाए।।
सूर्य डूब जाता सदा ही,
तय हुआ जिसका उदय है।।
चाहता है मन बहुत कुछ।
मिले सबको सभी सुख।।
जो रह रहे हों साथ में,
वो सब हमेशा रहें खुश।
बस में कहां होता है मित्रों,
हर बार ना होती विजय है।।
हारकर अपने ही रण को।
खोजता किसी शरण को।
भाग्य रेखाएं है अनावृत,
अपेक्षित हैं संवरण को।।
साधने की चेष्टा हूं करता,
टूटती सी हर एक लय है।।