ये वतन मेरे प्यारे.
ये वतन मेरे प्यारे.
आम आदमी सहजतासे नेताओंका करता हैं समर्थन,
और न्योछावर करता नेताजी पर अपना ईमान.
लेकिन नेताजी के कारनामों से निकलती उसकी जान,
और तिल –मिलाता हैं आम मतदाताओं का फिर ईमान.
जब नहीं मिलता विकास और दो समयका भोजन,
आमा जनता फिर ठग़ीसी करती महसुस हर क्षण.
नारो से तो गद- गद होता हैं नेता का आंगन.
और अपने झूठे वादों से नेता होता हैं रोशन.
कालाबाजारियोंसे और भ्रष्टाचारियोंसे,
आतंकवादियोंसे और भू-माफियोंसे.
नेताजी का हैं गहरा अटुट बन्धन,
तो कैसे होगा सफल जन विकास आंदोलन ?.
हे भारत भूमि तुझे भूमिपुत्रों का शत – शत नमन,
क्या कभी होगा वतनसे ऐसे भ्रष्ट नेताओं का पतन ?.
या देशद्रोही नेता करते रहेंगे आम जनता का शोषन,
इन्हे रोकने, क्या जनता करेगी कभी विरोध प्रदर्शन ?.
कभी किसी युग लोहपुरष का होगा फिर आगमन,
जो करेगा देशवासियोंके प्यारे बिगडे वतन का जतन.
क्या इसी आस में ही जलता रहेगा हमारा वतन ?.
ये देश फिर कभी देखेगां शिव-स्वराज्य का आगमन !,
ये मेरे प्यारे वतन, ये मेरे प्यारे वतन .