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ये कैसी दीवाली

ये कैसी दीवाली

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हर जगह कोहरा ही पाया

जैसे दिन में हो अंधेरा छाया

ये कैसी दीवाली।


ये कैसा शोर

जो कानों में है 

ये कैसी खुशी जो

बस दुकानों में है

ये कैसी दीवाली।


बच्चे पटाखों के लिए

झड़प रहे हैं

पेड़ पर पंछी घुटन से

तड़प रहे हैं

ये कैसी दीवाली।


कहीं अनार जल रहे

कहीं रॉकेट उड़ रहे

बेजुबान सहमे हुए

छुपने की जगह ढूंढ रहे

ये कैसी दीवाली।


देखो तो हर कोना है रोशन

फिर भी ना जाने क्यों

विचलित है यह मन

ये कैसी दीवाली।


चार पल का तमाशा

और धुएं की भरमार है

अपनी ही ख्वाहिशों के आगे

इंसान कितना लाचार है

ये कैसी दीवाली।


काश इस दिवाली

हर जीवन में खुशहाली हो

और इस धरती की यह

पहली हरी दीवाली हो 

इस धरती की यह

पहली हरी दीवाली हो।


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