ये बेटियाँ
ये बेटियाँ
राह चलते आज
यूँ ही नजरें उठी
और अटक गयी
एक पोस्टर पर
"बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ"
इस बार मन में कुछ प्रश्न
उछले या मचले नहीं
सीधे तीर सा
छलनी कर गए
ज़वाब की आस में!
कन्यादान की रीत में
जाने कब सामान
बन गयी ये बेटियाँ
खत्म न हो ही जाए
कहीं इनका अस्तित्व
देखो कितनी दुर्लभ प्रजाति हो गयी
इंसान की ये बेटियाँ!
अगर ज्यादा न बची तो
स्वार्थ पूरा करने के लिए
बेटों की तरह क़ीमती
हो जायेंगी बेटियाँ
और अगर पर्याप्त मात्रा में रही
तो फिर दहेज के दावानल में
जलेंगी ये बेटियाँ १
ये बेटियाँ, ये बेटियाँ, ये बेटियाँ!!!