ये बात और है
ये बात और है
सहेज कर रखे थे कुछ लम्हे
तेरे दिल के गलियारे में कभी
तुझे याद ना हो ये बात और है
संभाले हैं वो नमी पलकें आज भी
जो बख़्शी थी कभी तूने इन आंखों को
तू भुलाना चाहे ये बात और है
मिल जाए आराम इन पलकों को भी
जो तू याद करे कभी उन लम्हों को
तू याद ना करना चाहे ये बात और है
साथ छोड़ दिया तूने तो क्या
ये रिश्ता दिल का ना टूट पाया कभी
तू तोड़ना चाहे ये बात और है
दर्द तेरे दिल का सदा ही
बहाया इन आंखों ने मेरे हमनशीं
तू देखना ना चाहे ये बात और है.