यादों के पिटारे से
यादों के पिटारे से
यादों के पिटारे में
बहुत कुछ होता है ,
खुशियां कम गम अधिक होता है ,
खुशियां तो भूल जाते हैं,
गम याद रहता है ,
उन्हीं को याद कर तो
इंसान खुद को बदलता है ,
उन्हीं लम्हों में अपने परायों
का पता चलता है ,
वैसे आज कल अपने कम
पराए अधिक काम आते हैं,
और वो हमेशा यादों के
पिटारे में बसे रहते हैं।