याद किया तुझे तन्हाई में
याद किया तुझे तन्हाई में
ना ही तुझसे मिलने की है कोई तमन्ना,
ना ही है तेरा इंतज़ार हमें,
आखिर क्या कसर छोङी थी तूने बेवफाई में,
फिर भी अक्सर याद किया करते हैं तुझे तन्हाई में,
ना ही कभी तेरे ख़त को अक्श भरे नज़रों से देखा,
ना ही कभी आँसू बहाए तेरे मोहब्बत भरे अल्फाज़ों पे,
आखिर हमें भी गम नहीं तेरे इश्क में मिली रूसवाई में,
फिर भी अक्सर याद किया करते हैं तुझे तन्हाई में,
ना ही कभी तेरी निशानियों को देख रोए हम,
ना ही कभी तेरी आदतों को याद कर मुस्कुराये,
आखिर वफा की उम्मीद भी कहाँ थी हमें तुझ हरजाई से,
फिर भी अक्सर याद किया करते हैं तुझे तन्हाई में,
ना ही कभी तुझ से एक मुलाकात को तरसे,
ना ही तुझसे मिलने कि ख्वाहिश में तेरी गलियों से गुज़रे हम,
आखिर हम भी तो खुश ही हैं तेरे मोहब्बत की रिहाई में,
फिर भी अक्सर याद किया करते हैं तुझे तन्हाई में,
ना ही कभी तुझे तलाशने कि कोशिश की किसी और में,
ना ही कभी खुदा से माँगा हमने तेरे जैसा हमसफ़र,
आखिर क्या रखा है तेरी परछाई में,
फिर भी अक्सर याद किया करते हैं तुझे तन्हाई में।।