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चेतनाप्रकाश चितेरी , प्रयागराज

Abstract

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चेतनाप्रकाश चितेरी , प्रयागराज

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याद हूंँ मैं

याद हूंँ मैं

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तुम भूल गए हो या याद हूँ मैं

अपनी धुन में खोए हुए रहते हो,

मन में आस लिए, तेरी राह में,

पलकें बिछाए बैठी रहती हूँ ‌।


कहीं खो गई हूँ या याद हूँ मैं

तुम्हारे दिल की बात, अब मुझ तक नहीं पहुँचती,

न फोन, न मैसेज, इंटरनेट के दौर में भी,

हम बेगाने से लगते हैं,

बीते पल को याद करके दिल से लगा कर बैठी हूँ।


तुम भूल गए हो या याद हूँ मैं

आपाधापी में रहते हो,

खाई थी हमने कसमें, जीवन के सफर में साथ मिलकर चलेंगे,

टूटी हुई यादों के सहारे, आज भी 

ज़िंदा हूँ मैं 

तुम भूल गए हो या याद हूँ मैं



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