याद बहुत आते हो पापा
याद बहुत आते हो पापा
न छोड़ना साथ मेरा तुम
देखो किसी भी हाल में
याद बहुत आते हो पापा
मुझको तुम ससुराल में..
चलना सीखा बाबा मैंने
तेरी अँगुली के सहारों से
खुशियों से भरी झोली मेरी
तुमने निज नेहिल बहारों से
चिज्जी पा मस्ती में फिर
नाचते हम इक ताल में..
न छोड़ना साथ मेरा तुम
देखो किसी भी हाल में..
याद है ऑफिस से घर आना
गोदी में फ़िर मुझे उठाना
पास बिठाकर खाना बाबा
अपने हाथों से खिलाना
सँग-सँग भोजन करते थे
बाबा हम एक ही थाल में..
न छोड़ना साथ मेरा तुम
देखो किसी भी हाल में..
बिन कहे समझे गुज़ारिशें
अनकही सभी फरमाइशें
मेहनत करते दिन रात ये
पूरी करते सब ख़्वाहिशें
सदा प्यार झलकता बाबा
तेरे गुस्से के उबाल में..
न छोड़ना साथ मेरा तुम
देखो किसी भी हाल में..
दिल में ले करके लाड़-दुलार
गाँठ बांधे मैंने तेरे संस्कार
उम्मीदों पर खरी उतरने को
बाबा पूरी तरह मैं हूँ तैयार
मान रखेंगे जीवन भर हम
प्रत्युत्तर न देंगे किसी सवाल में..
न छोड़ना साथ मेरा तुम
देखो किसी भी हाल में..
कम है जितना गुणगान करूँ
और कितना मैं बखान करूँ
हैं ईश्वर से बढ़कर बाबा मेरे
सेवा में समर्पित जान करूँ
तेरा ही तो अंश हूँ बाबा मैं
ईश्वर से पायी स्त्री-खाल में..
न छोड़ना साथ मेरा तुम
देखो किसी भी हाल में।