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Dr Ranjana Verma

Others

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Dr Ranjana Verma

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याद बहुत आता है

याद बहुत आता है

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जीवन के मेले में

भीड़ में अकेले में

सुधि के वातायन में

बार बार पागल मन

झाँक झाँक आता है।

याद बहुत आता है।


बाहर बसौटे पर

मचल मचल बाबा का

बार बार खाँसना

और वहीं कोने में

कथरी को सरका के

मुँह खोले दादी का 

बार बार झाँकना

याद बहुत आता है।।


थके हारे बापू का

साँझ ढले लौटना

हाथ की हथेली पे

चुटकी भर खैनी को

मसल मसल कूटना

याद बहुत आता है।।


तांबे के लोटे में

भर कुएँ का पानी

अम्मा का तुलसी से

जल देकर बदले में 

आशीषें मांगना

घर भर की ख़ुशियों के 

लिये रोज़ देहरी पे

करना अगियार और

सगुन दीप बालना

याद बहुत आता है।।


राखी के दिन लेकर

रेशम के दो धागे

बहना का बार बार

रस्ता निहारना

बाँध कर कलाई पर

रेशम की राखी

फिर सौगातें माँगना

रुपये का सिक्का पा

खुशी से उछल जाना

घर भर में नाचना

याद बहुत आता है।।


दरवाज़े के आगे

नीम की घनी छाया

पिछवाड़े पीपल की

हर हर की मीठी धुन

बचपन की निमकौड़ी

लगी आम से मीठी

कच्ची पक्की मकोय

चुन चुन कर खाना

जाड़े में दरवाजे पर

नन्हें से झबरे का

कूँ कूँ कुकुआना

औ अलाव तापना

याद बहुत आता है ।।


छोटकी दिवाली पर

छक्का कौड़ी और

तांबे का छेदहा 

पैसा तलाशना

होली पर मुट्ठी में

भर गुलाल आँगन में

सभी पर उछालना

याद बहुत आता है ।।



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